भक्ति का अद्वितीय उदाहरण:
भक्त प्रहलाद, हिरण्यकश्यप का पुत्र, अपने पिता के विपरीत भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। एक बार, जब भक्त प्रहलाद ने अपने पिता से कहा कि भगवान विष्णु हर जगह हैं, तो हिरण्यकश्यप ने क्रोधित होकर उसे दंडित करने का निर्णय लिया।
भक्त प्रहलाद ने अपने पिता के आदेशों का पालन नहीं किया और भगवान का नाम लेते रहे। यह दर्शाता है कि सच्ची भक्ति किसी भी बाधा को पार कर सकती है।
हिरण्यकश्यप का प्रतिशोध:
हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद को मारने के लिए कई प्रयास किए। एक बार, उसने उसे विष दिया, लेकिन प्रहलाद ने भगवान विष्णु का स्मरण किया और विष का कोई असर नहीं हुआ। फिर उसने भक्त प्रहलाद को अग्नि में डालने की कोशिश की, लेकिन वह अग्नि में भी सुरक्षित रहे।
यह घटना यह दर्शाती है कि भगवान की कृपा सच्चे भक्तों की रक्षा करती है।
नृसिंह अवतार:
अंततः, हिरण्यकश्यप ने नृसिंह अवतार का सामना किया। जब वह अपने पुत्रभक्त प्रहलाद को मारने आया, तब भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध किया।
यह प्रसंग भक्ति और विश्वास की शक्ति को दर्शाता है, जहां भगवान अपने भक्त की रक्षा के लिए स्वयं आते हैं।
प्रहलाद का उद्धार:
अंततः, भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध किया और भक्त प्रहलाद को सम्मानित किया। भक्त प्रहलाद को इंद्र की पदवी दी गई।
यह कहानी सिखाती है कि सच्ची भक्ति और विश्वास हमेशा विजयी होते हैं।
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