हिंदू धर्म में, ऐसा मन जाता है की हमारा अस्तित्व हमारे पूर्वजो के वजह से है, वे थे तो हम है, उन्होने हे हमे बनाया है और उनके द्वारा दिए गए अंग प्रतंग हम अभी भी कही न कही ग्रहण करे है,
इसलिए जब कोई पलायन करता है तो हम उनके द्वारा दिए गए अस्तित्व के सम्मान उपलक्ष हम शरीर का एक हिस्सा (उनसे बनाया गया) एक बलिदान के रूप में निर्माता को वापस दे देते है आभार प्रकट करते हुए , चूंकि बाल शरीर का अंग है जो आपके दैनिक जीवन को बाधित किए बिना उपरोक्त सभी शर्तों को पूरा करता है, इसलिए इसे चुना जाता है अर्थात सम्मान जताने का एक जरिया भी है,
बालों को ग़ुरूर का चिन माना जाता है जिससे भगवान के आगे दान कर देते हैं। लोग अपने बाल अपनी मन्नत पूरी हो जाने पर भी दान करते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार, हमारे सभी बुरे कर्म "पाप" हमारे शरीर के सभी बालों की नोक पर होते हैं। यह निर्दिष्ट करता है कि जब आप अपने पिता और माता को स्वर्ग जाने (मोक्ष प्राप्त करने) के लिए अनुष्ठान कर रहे हैं, तो आपको ऐसा अपने सिर पर "पाप" के बिना करना चाहिए।
यह भगवद गीता से प्रेरित है के अपनों की मृत्यु के बाद हर सामान की सफाई करते हैं और सिर और नाखून मुंडवाते हैं। यह भावना दिखाने के लिए है कि अब हम उनके बंधन से बाहर हो गए हैं और उन्हें बिना किसी तनाव के स्वर्ग जाने की अनुमति है।
सिर का मुंडन यह दिखाने के लिए किया जाता है कि वह शोक में है। इसके अलावा दिवंगत आत्मा के अंतिम दिनों के दौरान दुखद कठिनाइयों ने लोगों के मन को उलझा दिया होगा। उस समय सिर और चेहरे पर मौजूद बाल प्रदूषित होते हैं। नकारात्मक विचार। उन्हें शारीरिक रूप से हटाकर आप नए उम्मीद के भविष्य की तैयारी करते हैं। जैसे-जैसे नए बाल बढ़ते हैं, आप अपने दुख और नकारात्मक विचारों को पीछे छोड़ देते हैं और सकारात्मक वृद्धि की आशा करते हैं।
बालों को गर्व और अहंकार का चिन्ह माना जाता है। यही वजह है मुंडन करवाकर हम अपना अहंकार त्याग कर अपने आपको भगवान को समर्पित कर देते हैं। माना जाता है कि मुंडन कराने से बुरे विचार ख़त्म हो जाते हैं।
मृत्यु के बाद पार्थिव शरीर के दाह संस्कार के बाद मुंडन करवाया जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि जब पार्थिव देह को जलाया जाता है तो उसमें से भी कुछ हानीकारक जीवाणु हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं। नदी में स्नान और धूप में बैठने का भी इसीलिए महत्व है। सिर में चिपके इन जीवाणुओं को पूरी तरह निकालने के लिए ही मुंडन कराया जाता है।
दुख के दिनों में आपके मस्तिष्क में थमासिक (सुस्ती) प्रवेश कर जाता। अपने मुंडा सिर पर सूरज को सीधे चमकने देकर आप सकारात्मक ऊर्जा को अपने में प्रवेश करने देते हैं और एक नया जीवन शुरू करते हैं।
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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