किसी ने पूछा के हम दोनों हाथ उठा कर भजन-कीर्तन क्यों करते है जबकि ये तो बिना हाथ ऊपर उठाये भी कर सकते है,
बड़ा सुन्दर उत्तर इस प्रश्न का है, बच्चा जब छोटा होता है, तब वह अपनी माँ को देखकर अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर मचलने लगता है , वो यह कहना चाहता है के मुझे उठा कर प्यार से अपने सीने से लगा लो,
ठीक वैसे ही जब एक भक्त अपने हाथ ऊपर उठा कर सत्संग करता है तो वो यह कहना चाहता है की "हे भगवन,आप मेरे हाथ पकड़ लो और मुझे इस भवसागर से, इस दुःखरूपी भौतिक संसार से बहार निकाल कर अपने चरणों से लगा लो और इस माया जाल के परे अपने से आलिंगन कर लो जैसे एक माँ अपने बालक को करती है निर्मल प्रेम से, मेरे जीवन को मोक्ष प्रदान करो और इन ८४ लाख योनियों से मुक्ति कर मुझे एकाकी बना दो "
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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