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३ नवंबर को है बड़ा योग, 6 देवों का होता है पूजन

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इसे छोटी दिवाली की पूजा भी कहा जाता है. इस बार 3 नवंबर 2021, बुधवार के दिन नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा.


3 नवंबर 2021 दिन बुधवार को सुबह 9 बजकर 02 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी, इसके बाद चतुदर्शी प्रारंभ हो जाएगी.

  • इस दिन प्रदोष काल में दीपदान करना शुभ माना जाता है.

  • इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहते हैं.

  • इस दिन स्नान करने से पहले अपने शरीर पर उबटन अथवा तेल की मालिश करने का भी विधान है, यह व्यक्ति की सुंदरता बढ़ाता है इसलिए इसे रूप चतुर्दशी भी कहते हैं.

  • इस रात्रि हनुमान जी की पूजा भी की जाती है. शाम को स्थिर लग्न में ही हनुमान जी का पूजन करना एवं भोग लगाने का विधान है,

इन 6 देवों का होता है पूजन :


यम पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन यम पूजा की जाती है. इस दिन रात में यम पूजा के लिए दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के कोने में जलाकर रखा जाता है. इसे यम दीपक भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है.

आटे का चौमुखा या एक मुखी दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाता है. घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तिल का तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं. इस दिन रात के समय विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर रखते हैं. और ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप करते हुए यम का पूजन करती हैं.


नरक चतुर्दशी के दिन दीपक को घर के बाहर मुख्य द्वार के पास अनाज के ढेर या घूरे पर या नाली के पास दक्षिण दिशा में, दीपक लगाने के बाद इसको पीछे मुड़ कर ना देखे और सीधे घर में आ जाये


काली पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन काली पूजा भी की जाती है. इसके लिए सुबह तेल से स्नान करने के बाद काली की पूजा करने का विधान है. ये पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है.

इस दिन स्नान करने से पहले अपने शरीर पर उबटन अथवा तेल की मालिश करने का भी विधान है. यह व्यक्ति की सुंदरता बढ़ाता है इसलिए इसे रूप चतुर्दशी भी कहते हैं.


श्रीकृष्‍ण पूजा- मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था. इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है.

शिव पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन के दिन शिव चतुर्दशी भी मनाई जाती है. इस दिन शंकर भगवान को पंचामृत अर्पित करने के साथ माता पार्वती की भी विशेष पूजा की जाती है.

हनुमान पूजा- मान्यताओं के अनुसार इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाते हैं.

वामन पूजा- दक्षिण भारत में नरक चतुर्दशी के दिन वामन पूजा (Vamana Puja) का भी प्रचलन है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन राजा बलि को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था.

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