हिन्दू कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ है । ये महीना 6 जून से 5 जुलाई तक रहेगा । धार्मिक और शारीरिक रूप से इस महीने को महत्वपूर्ण माना गया है । इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए , जिससे ऊर्जा नियंत्रित रह सके ।
ये महीना गर्मी और बारिश का संधिकाल भी होता है , जिससे रोगों का संक्रमण इन दिनों में ज्यादा होता है । इसलिए आषाढ़ महीने में सभी को सेहत को लेकर खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए । आषाढ़ के स्वामी सूर्य और वामन को माना जाता हे ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि आषाढ महीने के देवता सूर्य भगवान और वामन अवतार हैं । इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार और सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए । इनकी उपासना करने से व्यक्ति को विशेष फल मिलता है । आषाढ़ महीने में सूर्य की उपासना से ऊजा के स्तर को नियंत्रित रखा जाता है । इससे सेहत अच्छी रहती है और किसी भी तरह की बीमारी नहीं होती । भगवान विष्णु की उपासना से संतान और सौभाग्य प्राप्ति की संभावना भी बनती है ।
अगर विज्ञानं की दृष्टि से देखे , गर्मी और बारिश का संधिकाल सेहत के नजरिए से आषाढ़ महीने में सावधानी रखनी चाहिए । ये महीना गमी और बारिश के संधि काल में आता है । यानी इस दौरान ग्रीष्म ऋतु होती है साथ ही सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में आ जाने से वृष्टिकाल भी रहता है । इससे इन दिनों वातावरण में उमस और नमी बढ़ने लगती है , इसलिए इस महीने में रोगों का संक्रमण ज्यादा होता है । आषाढ़ माह में ही मलेरिया , डेंगू और वाइरल फीवर ज्यादा होते हैं । इसलिए इस महीने में सेहत को लेकर ध्यान देने की जरूरत रहती है ।
सूर्य भगवन के पूजा करने का मतलब के आप सूर्य भगवन सो जो समय अर्पित करेंगे उस दौरान आप सीधे सूर्य के संपर्क में रहेंगे और धुप से आपको स्वस्थ लाभ होगा ।
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