संस्कृत में 'हनु' का अर्थ है 'जबड़ा' और 'मान' का अर्थ है 'क्षतिग्रस्त '। कोई आश्चर्य नहीं कि एक बच्चे के रूप में हनुमान का जबड़ा भगवान इंद्र के अलावा किसी और ने नहीं बिगाड़ा था, जिसने अंजनेय के खिलाफ अपने वज्र (वज्र) का इस्तेमाल किया था, अंजनेय ने बाल रूप में सूरज को एक पके आम के रूप में ले लिया और यहां तक कि आकाश में चल दिए सूर्य को आम समझ कर खाने के लिए।
यह आकाश में था कि भगवान इंद्र ने अपने वज्र का उपयोग कियाा, जिसने हनुमान को पृथ्वी पर सीधे गिरा दिया था, जिससे उनके जबड़े हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो गए।
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