हमारी हस्तरेखा और हस्त के अलग अलग स्थानों पर एक स्वामी बताए गए हैं। जब भी हम देवी-देवताओं जल अर्पण करते है वह हथेली के अग्र भाग से किया जाता है क्योंकि ये हिस्सा देवी-देवताओं की पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
ठीक उसी प्रकार हथेली में अंगूठे (thumb) और तर्जनी (index finger) फिंगर के नीचे बीच वाले हिस्से को पितृ तीर्थ कहते हैं, और इसे पितर देवताओं का स्थान माना जाता है। इस कारण पितरों से जुड़े कामों में अंगूठे की ओर से जल चढ़ाने की पंरपरा है। अंगूठे से चढ़ाया गया जल हमारे हाथ के पितृ तीर्थ से होता हुआ पितरों तक पहुंचता है।
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