भारत में देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने नारियल फोड़ने की परंपरा काफी पुरानी है। हिंदू धर्म के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में नारियल का विशेष महत्व है।
चाहे शादी हो, त्यौहार हो या फिर कोई अन्य महत्वपूर्ण पूजा, पूजा की सामग्री में नारियल आवश्यक रूप से रहता है।
नारियल और हमारे में क्या समानता है
क्या आपने कभी नारियल को ध्यान से देखा है, अगर नहीं तोह एक बार फिर देखे,:
नारियल कई तरह से मनुष्य की खोपड़ी से मेल खाता है,
नारियल की जटा की तुलना मनुष्य के बालों से,
कठोर कवच की तुलना मनुष्य की खोपड़ी से, और
नारियल पानी की तुलना खून से की जा सकती है,
साथ ही नारियल के गूदे की तुलना मनुष्य के दिमाग से की जा सकती है,
नारियल में दो छेद होते हैं, जिन्हें हम आंख मानते हैं
उससे जो रोयें निकलते हैं उसे केश माना जाता है।
मस्तिक्ष जो के कपाल में रहता है और मस्तिक्ष के द्वारा ही हमारे समूचे शरीर की क्रिया होती है, एक तरह से मस्तिक्ष हमारा कण्ट्रोल सेण्टर है, जो हमारे विचार, विचारों से द्वारा उत्पन्न कर्म और उन कर्म के द्वारा उत्पन्न हमारे जीवन के रास्ते ,सब नियंत्रित होते है ,
नारियल फोड़ने का मतलब है कि आप अपने अहंकार और स्वयं को भगवान के सामने समर्पित कर रहे हैं। माना जाता है कि ऐसा करने पर अज्ञानता और अहंकार का कठोर कवच टूट जाता है और ये आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का द्वार खोलता है। जिसे नारियल के सफेद हिस्से के रूप में देखा जाता है।
हमारा अहंकार, हमारे विचार और हमारा शरीर सब नश्वर है और हम उसी शरीर और विचार को अपना पता बना लेते है जबकि यह पता एक अस्थाई घर है पर पूरी जीवन हम सिर्फ में, मेरा और मुझे में व्यतीत कर देते है ,
इसलिए मृत्यु परान्त हम कपाल क्रिया करते है, जिसका अर्थ -कारण कई हैं। सबसे पहले, खोपड़ी की हड्डी एक कठिन हड्डी है (जैसे नारियल की होती है) - हड्डी को तोड़ने से शरीर को जलाने में आसानी होती है।
दूसरे, यह हर किसी को यह एहसास दिलाने के लिए किया जाता है कि व्यक्ति वास्तव में चला गया है --- खोपड़ी को तोड़ने से मृत्यु के संबंध में आने वाले दर्दनाक रिश्तेदारों के लिए एक वास्तविकता जांच के रूप में कार्य किया जा सकता है।
यह कहा जाता है कि माथा वह स्थान है जहां सभी ऊर्जाएं निवास करती हैं --- एक बार जब संपर्क टूट जाता है, तो आत्मा को निर्जीव शरीर को पीछे छोड़ने में आसानी होती है।
भगवन के सामने नारियल भी यही दर्शाता है, के हम मुक्त रहे आसक्ति से और समर्पित रहे सदैव प्रभु को , तभी आत्मा की चेतना और मोक्ष मार्ग दर्शित होगा
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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