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बलि के पिता कौन थे ?

महातेजस्वी वामन जी यजमान बलि की यज्ञशाला में गये ।


सामगान के अनन्तर वे इस प्रकार बोले -


"राजन् ! दैत्यराज हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रह्लादजी हुए जो बड़े तेजस्वी , जितेन्द्रिय तथा विष्णुभक्त हैं ; जिन्होंने दैत्यराज की सभा में अतिशय तेजस्वी भगवान् नृसिंह को प्रकट किया था । महाभाग ! उन्हीं प्रह्लादजी के पुत्र तुम्हारे पिताजी थे , जो संसारमें विरोचन के नाम से विख्यात हुए थे । महात्माने स्वयं ही अपना मस्तक दान करके इन्द्र को सन्तुष्ट किया था । राजन् ! तुम उन्हीं महात्मा विरोचन के पुत्र हो ।"


स्कन्दा पुराण


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