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क्यों है नवरात्र गुप्त और महत्व ?

सनातन धर्म शायद दुनिया का एकमात्र धर्म है जो शक्ति की अवधारणा को परब्रह्म या सर्वोच्च परमात्मा की शक्ति के बराबर होने की बात करता है। सनातन धर्म के अनुसार, शक्ति के तत्व नारी या प्रकृति) और शिव (पुरुष या पुरुषतत्व ) एक पूरे के दो भाग हैं। जबकि वे स्वयं द्वारा अपूर्ण हैं, वे एक साथ एक संतुलित, सामंजस्यपूर्ण रूप से बनाते हैं।


शक्ति, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, का अर्थ है "शक्ति"। भगवान शिव ने समय और फिर से कहा है कि वह अपने साथी देवी शक्ति के बिना कुछ भी नहीं है। इसमें हिंदू देवी में देवी की महत्वपूर्ण भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।


आइये साझा करते है गुप्त नवरात्र और दस महाविद्या के बारे में, "महाविद्या" नाम, महा संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ है महान और विद्या का अर्थ, बुद्धि, ज्ञान, प्रकट या रहस्योद्घाटन।


मास में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। 12 फरवरी दिन शुक्रवार से गुप्त नवरात्रि का आरंभ हो रहा है। इस नवरात्रि में मां आदिशक्ति की दस महाविद्याओं की पूजा का विधान है।

ये दस विद्याएं इस प्रकार है-


1.माता काली-ये साधक को समस्त सिद्धि प्रदान करने वाली हैं, मां काली की कृपा प्राप्त करने के लिए उक्त मंत्र का जाप करें।


"'ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।"

मां दुर्गी का दस महाविद्याओं में काली को प्रथम महाविद्या के रूप में पूजा जाता है
Maa kali

2.तारा देवी-इन्हों तांत्रिको की मुख्य देवी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सर्वप्रथम महर्षि वशिष्ठ ने देवी तारा की आराधना की थी, इनका आराधना मंत्र


"'ॐ ऐं ओं क्रीं क्रीं हूं फट्।'"

इन्हों तांत्रिको की मुख्य देवी माना जाता है।
Tara devi

3.माता षोडशी या त्रिपुर सुंदरी-माता त्रिपुर सुंदरी को ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी, राज राजेश्वरी भी कहा जाता है।इनका मंत्र इस प्रकार है;-

  • 'श्री ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क्रीं कए इल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।'

  • ऐं ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:

दस महाविद्याओं में से ये तीसरी महाविद्या हैं
Mata Shodashi

4.माता भुवनेश्वरी-इनकी पूजा से साधक को सूर्य के तेज समान ऊर्जा की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति के लिए माता भुवनेश्वरी की आराधना बहुत शुभफलदायी मानी जाती है। इनकी पूजा का मंत्र इस प्रकार से है।


'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौ: भुवनेश्वर्ये नम: या ह्रीं

माता भुवन्श्वरी को शताक्षी और शाकम्भरी नाम से भी जाना जाता है
Maa Bhuvneshwari

5.माता छिन्नमस्ता-माता छिन्नमस्ता के स्वरूप में उनका मस्तक कटा हुआ है और एक हाथ में कटार तो दूसरे हाथ में कटा हुआ मस्तक है, इनके गले से रक्त की तीन धाराएं से सुशोभित हो रही हैं। इन्हें प्रचंड चंडिका भी कहा जाता है ये साधक के उसकी उपासना के अनुसार दर्शन देती हैं।इन्हें चिंतपूरनी भी कहा जाता है। इनकी साधना के लिए इनके मूल मंत्र का जाप कर सकते हैं।


'श्री ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरायनीये हूं हूं फट् स्वाहा।'

इन्हें प्रचंड चंडिका भी कहा जाता है
Mata Chinnamasta

6.माता भैरवी-इनकी उपासना से साधक को सभी बंधनों से मुक्ति प्राप्त होती है, इनकी साधना का मूल मंत्र इस प्रकार है।


'ह स: हसकरी हसे।

दस महाविद्याओं में से ये छठी महाविद्या हैं
Mata Bhairavi

7.माता धूमावती-धूमावती माता की साधना से साधक को अभाव और संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है, इनकी आराधना का मंत्र इस प्रकार से है।


'धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।'

ये माता पार्वती का ही स्वरूप हैं
Mata Dhumavati

8.माता बगलामुखी-मां बगलामुखी स्तंभन की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी साधना से भय, शत्रु बाधा से मुक्ति पाप्त होती है। वाक् सिद्धि और राजनीतिक के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए इनकी आराधना की जाती है।


ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिव्हा कीलय, बुद्धिं विनाश्य ह्लीं ॐ स्वाहा।'

मां बगलामुखी स्तंभन की अधिष्ठात्री देवी हैं
Mata Bangalamukhi

9.माता मातंगी-शीघ्र विवाह, सुखी गृहस्थ जीवन, खेल, कला गीत-संगीत आदि की कामना से इनकी पूजा की जाती है


'श्री ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।'

गुप्त नवरात्रि की दस महाविद्याओं में से मां मातंगी नवीं महाविद्या हैं
Mata Matangi

10.माता कमला-ये परम सौभाग्य प्रदात्री हैं, इनकी आराधना का मंत्र इस तरह से है।

 

'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।'

गुप्त नवरात्रि में मां कमला की साधना दसवीं महाविद्या के रूप में की जाती है
Mata Kamala

गुप्त नवरात्र मुहूर्त:


12 फरवरी से गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ होगा। इस दिन घट स्थापना का समय पंचांग के अनुसार प्रात: 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस दौरान कलश की स्थापना कर सकते हैं। इस दिन दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। गुप्त नवरात्रि का समापन 21 फरवरी, रविवार के दिन होने वाला है।


गुप्त नवरात्रि पर जो लोग व्रत रखते हैं उन्हें कठोर अनुशासन का पालन करना चाहिए। गलत कार्यों से दूर रहते हुए पूजा-पाठ करना चाहिए। किसी के भी अहित का विचार मन में नहीं लाना चाहिए और सच्ची श्रद्धा से पूजा करनी चाहिए।

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