यज्ञ परमात्मा है । यज्ञ में देव ( परमात्मा ) की सङ्कति एवं आराधना होती है । देवपूजन का अर्थ द्रव्य , समय एवं स्वयं ( पूजक की आत्मा ) का दान ( उपयोग ) होता है । इसीलिए पुराणों में ' यज्ञ ' भगवान् का एक अवतार भी स्वीकार किया गया है । अत : ' यज्ञ ' का अर्थ परमात्मा है । परमात्मा का ही विस्तार ब्रह्माण्ड है । सम्पूर्ण यज्ञ साधन परमात्मा में ही कल्पित हैं । यही " यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवाः " अथवा " ब्रह्मार्पणं " " ब्रह्महविः " का अर्थ है । परमात्मा की आराधना ही मनुष्य को इष्ट है ।
Vedic sanskars evolved on the basis of yajna having primarily the purpose to create harmony, syncing environment, but also to the harmony within the human body itself Yajna in itself is to be seen as the very essence of Veda, from the early times, the ritual was understood to be the link between the human and the Divine and a vehicle towards liberation, The Samaagri include 54 herbs and shrubs, each hawan or Yajna performed by Hindu Sanskar Vedic Hawan Samaagri helps you find peace of mind and overall prosperity, The Samaagri is sanctified by Vedic Shlokas and Mantras, The Yajna purifies air and creates positive energy in the home, which affects our vibrations of the mind, body and soul, creating positivity and sync of internal and external life,
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है
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