श्रीमद् भागवत की परंपरा में, भगवान नारायण ने स्वयं ब्रह्मा जी को वर्णित करा । ब्रह्माजी ने इसे देवर्षि नारद को सुनाया जिन्होंने इसे बद्रेयन व्यास को प्रचारित किया।
व्यासजी ने इसे शास्त्र रूप में लाया और इसे अपने पुत्र शुक देव को सौंप दिया। शुकदेव ने अपनी बारी में, राजा परीक्षित और सूतजी महाराज को श्रीमद भागवत का उपदेश दिया।
श्रीमद् भागवत सुनने के तत्पश्च्यात ही राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई, जबकि सूतजी महाराज ने अपने हजारों वर्षों के निवास के दौरान नेमिषारण्य में रहे, यह ग्रंथ अपने शिष्य शौनक जैसे ऋषियों को सुनाया।
यह तो श्रुति है, जिसे सिर्फ सुना गया है और इसकी उत्पत्ति का आंकलन नहीं लगाया जा सकता है ।
स्कन्दा पुराण
Please feel free to write us at sanskar@hindusanskar.org, we would be happy to asist you, its all about Sanskars...
Comments