इच्छा अर्थात एक अच्छा, अनंत तक हम एक अच्छा होने के तलाश में रहते है और आखरी सांस तक एक अच्छा होने का इंतज़ार करते रहते है, हम यह भूल जाते है के प्रभु ने इतना अच्छा किआ है हमारे साथ,
हमे जीवन दिया, कपड़े दिए, खाना दिया, प्यार दिया पर हम उस एक अच्छा के इंतज़ार में जो अच्छा हुआ है उसे भी अच्छे से जी नहीं पाते,
आजीवन हम एक के बाद एक अच्छा करने के चक्र में उलझ जाते है और और इतना उलझ जाते है की अपना संपूर्ण जीवन उसमे हवन कर देते है,
क्या हम अच्छे से नहीं है, परेशानिया तो हमेशा रहेंगी, जीवन है तो परेशानिया है, आपको हे नहीं जिसने भी इस पृथ्वी पर जन्म लिया है उसको परेशानिया है चाहे वह संत हो या मनुष्य,
जब जब देवता या ऋषि मुनि को श्राप मिलता है उन्हे एहि बोला जाता है के जाये और मृत्युलोक पर जाकर सीखकर आये, आप वह ऋषि मुनि है जो यहाँ सीख रहे है और अपना श्राप काल व्यतीत कर रहे है,
कब तक एक अच्छा के इंतज़ार में आप हर अच्छे को त्यागते रहेंगे, थोड़ा सोचिये
आप आज को जी नहीं पा रहे और एक अच्छे के चक्र में कल की चिंता में आज के अच्छाइयों को होम कर रहे है,
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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