मन बड़ा चमत्कारी शब्द है,
मन के आगे ‘न’ लगाने पर यह ‘नमन’ हो जाता है और पीछे ‘न’ लगाने पर ‘मनन’ हो जाता है, जीवन में ‘नमन’ और ‘मनन’ करते चलिये समस्याओं का ‘शमन’ अपने आप होता रहेगा।
मन के अनुकूल हो तो हरि कृपा और मन के विपरीत हो तो हरि इच्छा इस तथ्य को धारण कर लें तो जीवन में आनंद ही आनंद है।
मनुष्य अर्थात मन वाला, भगवन ने आपको अपने बारे में सोचने की शक्ति दी है, आप कैसे इसको उपयोग में ला रहे है यह पूर्णता आपका दायित्व है।
खुशियों का ताल्लुक दौलत से नहीं होता,जिसका मन “मस्त” है उसके पास “समस्त” है…...!!
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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