बसंत पंचमी, बसंत का अर्थ है एक राग या फूलों का गुच्छा और पंचमी का अर्थ है पांचवा तिथि, माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रुप में मनाया जाता है
राग है खुशियों का राग है जीवन को उत्साह के साथ स्वागत करने का, नए ऋतू का,
जीवन भी एक राग है, जिसे आप जितना साधना करके सुधारेंगे उतना ही वह सुरीला होगा, जैसे के बासुरी, कई छिद्र होने के साथ भी अति सुन्दर ध्वनि या राग उत्पन्न होता है ।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी। बसंत पंचमी पर्व को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस वर्ष बसंत पंचमी का 16 फरवरी दिन मंगलवार को पड़ रही है। बसंत पंचमी के पर्व से बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है। इस दिन ज्ञान और स्वर की देवी मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है। मां सरस्वती की कृपा से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, विवेक प्राप्त होता है।
इस दिन को वैसे तो अबूझ मुहूर्त माना जाता है, फिर भी मां सरस्वती की कृपा प्राप्त करने हेतु एक शुभ मुहूर्त में पूजा करना शुभ रहता है।
बसंत पंचमी 2021 मुहूर्त:
पंचमी तिथि का प्रारंभ- 16 फरवरी 2021 को प्रातः 03 बजकर 36 मिनट से
पंचमी तिथि समाप्त- 17 फरवरी 2021 को दिन बुधवार सुबह 05 बजकर 46 मिनट तक
पूजा का शुभ मुहूर्त:
16 फरवरी को सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 तक (कुल अवधि- 05 घंटे 37 मिनट )
जानिए पूजा के दौरान किन बातों का रखें ख्याल-
बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि सूर्योदय से कम से कम दो घंटे पहले बिस्तर छोड़ देने चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन मंदिर की सफाई करनी चाहिए।
मां सरस्वती को पूजा के दौरान पीली वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। जैसे पीले चावल, बेसन का लड्डू आदि।
सरस्वती पूजा में पेन, किताब, पेसिंल आदि को जरूर शामिल करना चाहिए और इनकी पूजा करनी चाहिए।
बसंत पंचमी के दिन लहसुन, प्याज से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
बसंत पंचमी पूजा विधि:
मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
अब रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें।
अब पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबों को अर्पित करें।
मां सरस्वती की वंदना का पाठ करें।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने हेतु उन्हें मालपुए और खीर का भी भोग लगाएं।
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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