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क्या है सत्यम शिवम् सुंदरम

Writer's picture: hindu sanskarhindu sanskar

सत्यम शिवम् सुंदरम यह तीन शब्द अपने आप में ही संपूर्ण परम ज्ञान है, आइये देखे के क्या अर्थ है इन तीन शब्दों का

सत्यम शिवम् सुंदरम

सत्यम अर्थात सत्य और यम, परम सत्य किया है, मृत्यु और परम सत्य, इस मृत्यु से जो जुड़ा है वह है शिवा, जिन्होने यम को भी हराया था, सत्यम अर्थात सत्य, सत्य वह नहीं जो आप जानते है या देखते है बल्कि जो नहीं है वह सत्य है, जो आपको दिखता है वह में नहीं हूँ, और जो नहीं दिखता वह में हूँ ,


आपका या हमारा सत्य नहीं अपितु परम सत्य या यथार्त, इस यथार्त को समझने के लिया आपको "में " से मिटना होगा, इस सच्चाई को जानने के लिए आपको पूरी तरह से अनुपस्थित रहना होगा। आपका "में" या आपकी उपस्थिति दृष्टि को विकृत कर देगी, क्योंकि आपकी उपस्थिति का अर्थ है आपके मन की उपस्थिति, आपके पूर्वाग्रहों, आपकी परिस्थितियों का।


जब आप अनुपस्थित होंगे तभी आपको सत्य का अबोध होगा जो यम के सामान अटूट है और परम सत्य है , जब हम कहते हैं कि भगवान शिव सत्यम हैं, तो हमारा मतलब है कि शिव ही वास्तविक सत्य हैं। उसकी उपस्थिति भौतिक है। वह तुम्हारे भीतर है और तुम उसके भीतर हो। वह तुम्हारे जन्म का कारण है; और यही सच है। वह गंभीरता से आप और आपके विकास का पोषण करने में रुचि रखते हैं और यही सत्य है। हमारी भलाई में उनकी रुचि सर्वोच्च है और यही सत्य है; वह सत्यम है।

शिव ही वास्तविक सत्य है

शिवम्, शिव और अहम् अर्थात में शिव हूँ परन्तु में शिव हूँ मे "में" आपका अहंकार नहीं होना चाहिए अपितु "में" एकाकी होना चाहिए आत्मा और परमात्मा का और यह तभी जागृत होगा जब हम समझेंगे कि वह सब अच्छा है, वह सब मूल्यवान है, वह सब जो आप में सबसे कीमती है, परम अच्छा है। जो आदमी सत्य का अनुभव करने आता है, वह तुरंत सत्य को जीने लगता है। दूसरा कोई विकल्प नहीं है। उनका जीवन सत्य है। शिवम सत्य की क्रिया है; सत्य ही चक्रवात का केंद्र है। लेकिन अगर आप सच्चाई का अनुभव करते हैं, तो आपके आसपास का चक्रवात शिवमय हो जाता है। यह शुद्ध ईश्वरत्व बन जाता है।सत्य का मनुष्य ही एकमात्र प्रमाण है कि संसार दिव्य है। कोई भी तर्क यह साबित नहीं कर सकता कि दुनिया दिव्य है। आप शिवोहम हो जाते है


शिवम का अर्थ है, बिना किसी अपेक्षा के सब कुछ देना और बदले में कुछ भी माँगना।

सुन्दर, सत्यम ही सुन्दर है और शिवम् हे सुन्दर है, इन दोनों से पहले या बाद मे कुछ भी भी सत्य नहीं है और न ही कुछ सुन्दर है, सुन्दर है तो सिर्फ परम सत्य और परम ज्ञान, आपने आँखों से दिखने वाली सुंदरता हर तरफ देखी होगी लेकिन सबसे बड़ी सुंदरता है समग्रता, रहस्यवाद की तीव्रता को देखना। वह चेतना के अस्तित्व में सबसे बड़ा फूल है। यह केवल उन लोगों के लिए उपलब्ध है जो इसे प्राप्त करने के लिए पर्याप्त विनम्र हैं।शिव के कारण उनकी बातचीत, उन्हें वास्तविक एहसास दिलाती है कि दुनिया कितनी सुन्दर है।


याद रखें, माता पार्वती, एक राजकुमारी, या हमें एक बहुत अमीर राजकुमारी कहना चाहिए, सब कुछ त्यागने के बाद शिव से शादी कर ली। शिव अपना सबकुछ दे देते हैं और ऐसा करने में महादेव की खुद की एक झोपड़ी भी नहीं है। शिव ही शिव हैं; सब कुछ देने वाला। चूँकि आप शिव का एक हिस्सा हैं और वह आप का एक हिस्सा है, इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप कुछ हद तक उनके साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए शिवम् भी हैं और बने रहे ।


लेकिन आपको, शिव के एक हिस्से को अपनी प्रतिबद्धता दिखानी होगी कि इस खूबसूरत दुनिया से आप ऐसा कुछ नहीं लेंगे, जो इसकी सुंदरता को बिगाड़ दे, या इसे इस तरह से ख़त्म कर दे कि, बाकी सब चीजों की तरह, यह भी विनाश की ओर बढ़ जाए। सुंदरम को आपकी ओर से कुछ प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। आपको एक सुंदर दुनिया प्रदान की गई है। इसे और सुंदर बनाओ। आपको शिव की तरह सुंदरम बनना होगा।

सत्यम शिवम् सुंदरम मात्र तीन शब्द हे नहीं है अपितु पूरा ब्रह्माण्ड का सार है अपने आप में, सोचिये, समझिये और प्रकृति से समन्वय बनाइये,


संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद् 

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