हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो वह घटना सूर्य की मकर संक्रांति कहलाती है। सूर्य देव के मकर राशि में आने के साथ ही मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश आदि होने लगते हैं। मकर संक्रांति को भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही एक माह का खरमास खत्म हो जाता है।
मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही एक माह का खरमास खत्म हो जाता है।
जानिए क्यों है उत्तरायण महत्वपूर्ण?
उत्तरायण को पारंपरिक रूप से देवत्व और नई शुरुआत का दौर माना जाता है,
उत्तरायण दो संस्कृत शब्दों 'उत्तारा' या उत्तर और 'अयन' या संचार से लिया गया है, जो सूर्य के उत्तर की ओर गति को दर्शाता है।
महाभारत में, भीष्म पितामह ने मरने के लिए उत्तरायण का दिन चुना। भीष्म को अपनी इच्छा के अनुसार इच्छा मितु या मृत्यु का एक विशेष वरदान था और वह उत्तरायण में अपने मृत्यु का इंतजार कर रहे थे
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति से सूर्य देव का रथ उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाता है। ऐसा होने पर सूर्य देव का मुख पृथ्वी की ओर होता है और वे पृथ्वी के निकट आने लगते हैं। जैसे-जैसे वे पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे सर्दी कम होने लगती है और गर्मी बढ़ने लगती है। फसल पकने लगते हैं।
ऐसी मान्यता है कि इसी त्यौहार पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं. सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति खराब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं.
मकर संक्रांति मुहूर्त (Makar Sankranti Shubh Muhurat)
पुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08:30:07 से 17:46:00 तक
महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08:30:07 से 10:15:07 तक
मकर संक्रांति को क्या करें?
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें. सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें. नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें. भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं. भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें. संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
तमिलनाडु में मकर संक्रांति या संक्रांति को पोंगल के नाम से जाना जाता है। गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति को उत्तरायण के रूप में जाना जाता है। हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के नाम से जाना जाता है।
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