शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है, इस वर्ष महाशिवरात्रि 01 मार्च, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है।
इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र में परिघ योग रहेगा। धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा। परिघ के बाद शिव योग रहेगा। सूर्य और चंद्र कुंभ राशि में रहेंगे।
रात्रि के साथ शिव शब्द इसलिए जोड़ा गया क्योंकि शिव का अर्थ होता है वह जो नहीं है। सृष्टि का अर्थ है वह जो है।
दो खास संयोग बन रहे हैं:
महाशिवरात्रि पर इस साल दो खास संयोग बन रहे हैं. भगवान शिव की पूजा के दौरान धनिष्ठा नक्षत्र के साथ परिघ योग बनेगा. धनिष्ठा और परिघ योग के बाद शतभिषा नक्षत्र और शिव योग का संयोग होगा.
इस बार ग्रहों का विशेष योग बन रहा है. 12वें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग बनेगा. इस राशि में मंगल और शनि साथ बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे. लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति बनी रहेगी. चौथे भाव में राहु वृषभ राशि में रहेगा, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा
इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि 2022 शुभ मुहूर्त-
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.47 से दोपहर 12.34 तक, इसके बाद
विजय मुहूर्त दोपहर 02.07 से लेकर 02.53 तक रहेगा,
गोधूलि मुहूर्त शाम 05.48 से 06.12 तक ,
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:00 से 07:14 तक
निशिता मुहूर्त रात्रि 11:45 से 12:35 तक।
महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत रखने वालों को धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान और अरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन कुछ व्रत नियमों का पालन किया जाता है। जानिए महाशिवरात्रि व्रत नियम-
महाशिवरात्रि के दिन व्रती को सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर पानी में जल में काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इस दिन काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
महाशिवरात्रि निर्जला या फलाहार दोनों तरह से रखा जा सकता है। निर्जला व्रत रखने वाले व्रती को भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजन करने से पहले नंदी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं। जिसमें दूध, दही, शक्कर और शहद होना चाहिए।
पंचामृत से स्नान कराने के बाद भगवान शिव को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए।
भगवान शिव को पूजा के दौरान बेलपत्र, फूल, भांग और धतूरा आदि अर्पित करना शुभ होता है। यह सब अर्पित करने के बाद भगवान शिव को बेर और फल अवश्य चढ़ाने चाहिए।
Who is Shiva (शिव कौन है )
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