जिनके मुख से ' नमः शिवाय ' यह पंचाक्षर मन्त्र सदा उच्चारित होता रहता है , वे मनुष्य भगवान् शंकर के स्वरूप हैं ।
प्रातः काल , मध्याह्न काल तथा सन्ध्या के समय शंकरजी का दर्शन करना चाहिये ।
प्रातःकाल भगवान् शिव के दर्शन से सम्पूर्ण पातकों का नाश हो जाता है । दोपहरके समय शिवजीके दर्शन से मनुष्यों के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा रात्रि - कालमें शंकरजीके दर्शन से जो पुण्य होता है , उसकी तो कोई गणना ही नहीं है । '
शिव यह दो अक्षरों का नाम महापातकोंका भी नाश करनेवाला है।
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