हर साल की तरह इस साल भी मकर संक्रांति 14 जनवरी के दिन मनाई जा रही है। जब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, जिसे "संक्रांति" कहा जाता है। इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को "मकर संक्रांति" के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है।
मकर संक्रांति के पावन दिन पर लंबे दिन और रातें छोटी होने लगती हैं।माना जाता है कि मकर संक्रांति से ठंड कम होने की शुरुआत हो जाती है।
मकर संक्रांति का आयुर्वेदिक महत्व भी है। इस दिन चावल, तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं। तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इन चीजों के सेवन से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा होती है, हालांकि इस दिन खिचड़ी खाने की एक वजह ये भी होती है कि मकर संक्रांति में फसल की कटाई होती है। चावल और दाल से बनी खिचड़ी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है। ये पाचन तंत्र को मजबूत करती है।
मकर संक्रांति से बदलता है वातावरण-मकर संक्रांति के बाद से वातावरण में बदलाव आ जाता है। नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू होने लगती है। इससे कई सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य के उत्तरायण होने से सूर्य का ताप सर्दी को कम करता है।
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