पूजा घर का स्थान हमेशा ईशान कोण में बना हुआ होना चाहिए क्योंकि ईशान कोण में ही देवी-देवताओं का वास होता है।
पूजा घर में देवी-देवताओं की मूर्तियां या तस्वीरें ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
पूजन करते समय मुंह उत्तर या पूर्व की दिशा में होना चाहिए।
नहाने से पहले ही भगवान को चढ़ाने के लिए फूल को तोड़ लेना चाहिए। नहाने के बाद फूल तोड़ने पर फूल स्वयं को चढ़ाया हुआ माना जाता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
पूजन में भगवान को तिलक सिंदूर, चंदन, कुमकुम और हल्दी को अनामिका उंगली (छोटी उंगली के पास वाली उंगली ) से लगाना चाहिए।
गंगाजल, तुलसीदल, बिल्वपत्र और कमल के फूल को कभी भी बासी नहीं माना जाता।
भगवान श्रीगणेश और भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते नहीं रखना चाहिए।
पूजा में भगवान के समाने दीपक जरूर जलाना चाहिए।
पूजा खत्म होने के बाद भगवान से अपनी भूल के लिए उनके समक्ष क्षमा याचना जरूर कर लेनी चाहिए।
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