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गोवर्धन पूजा और सृष्टि संरचना

गोवर्धन हमारे हिन्दू धर्म का एक अति सुंदर पर्व है, ऐसा माना जाता है है के इंद्रा भगवन के प्रकोप से बचने के लिया भगवान कृष्णा ने गोवेर्धन पर्वत अपनी चिंगुली पर उठा लिया था और गोवर्धन पर्वत के आशीर्वाद और संरक्षण से समूचा ब्रज स्वस्थ और मस्त रहा,


इस कथन को अगर हम आज के परिवेश में देखे, सनातन धर्म से संबधित मनुष्य अपने अपने स्थान घर इत्यादि पर गोवर्धन बनाते है गौ माता के द्वारा दिए हुए गोबर का ,


जब हम गोबर घर लाते है और भगवन गोवेर्धन की रचना की प्रक्रिया शुरू करते है, ठीक उसी तरह जिस तरह सृष्टि की संरचना शुरू की थी, समस्त देवी देवताओं ने एक साथ मिलकर अपनी शक्तियों के द्वारा,

गोबर से गोवर्धन भी उसी सृष्टि के रचना है जहा घर परिवार एकत्रित होकर भगवन गोवर्धन की संरचना करते है और उन्हे एक सौन्दर्य रूप देते है, श्रृंगार करते है और बाद में पूजा अर्चन करते है , यह वैसा ही है जैसे भगवन ने सृष्टि बनायीं थी बड़े प्यार से और उसे एक सुंदर रूप दिया


अगले दिन पूजा होने के बाद समस्त गोवर्धन पर्वत को वापस एकत्रित किया जाता है और वापस परमात्मा में विलीन कर दिया जाते है


ठीक उसी प्रकार जिस तरीके से सृष्टि बड़े धैर्य और आत्मचिंतन से भगवन ने संरचना बनायीं और चक्र पूरा होने के बाद उसे विलीन कर दिया एक नयी शुरुआत के लिए एक नए जीवन के लिया,


पर इन सब में सृष्टि अपनी पहचान छोड़ना कभी नहीं भूलती की वह पहले किया थी और नयी रचना को पल पल ज्ञात रहे की पहले किया था और अब किया हो रहा है

देखा जाये तो पूरा चक्र गोबर्धन पूजा में सम्मलित है और समझने की लिया हमारे पास बहुत कुछ बचता है , सोचिये,


संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद् 

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