भगवद गीता उपदेश के बाद भगवन श्री कृष्णा ने अर्जुन से पूछा के "हे पार्थ, मैंने तुमको जीवन का ज्ञान और उसकी सत्यता से अवगत कराया है, मुझे बताये के आपको क्या समझ आया",
अर्जुन सोचने के बाद भगवन से बोले"भगवन, मैंने सब समझा और सोचा, अंत में मेरे को सिर्फ एहि समझ आया के में आप को समझ पाया और आपको पा लिया, मेरे लिए सिर्फ आप ही है सर्वज्ञ और में आपको ही समर्पित हूँ, अगर में आपका हाथ पकड़ कर इस जीवन पथ पर चलूँगा तो सदैव धर्म के साथ रहूंगा, मेरे लिए यही सार है समस्त अध्याय का"
अगर हम प्रभु को पहचान ले तो हमे किसी और को समझने और पहचाने के आवश्य्कता ही नहीं पड़ेगी, सोचो
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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