दो पक्ष: कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष
तीन ऋण: देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण
चार युग: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग
चार धाम : द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम धाम
चार पीठ : शारदा पीठ ( द्वारिका ) ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) शृंगेरी पीठ
चार वेद : ऋग्वेद, अथर्वेद, यजुर्वेद, सामवेद
चार आश्रम: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास
चार अंत: करण: मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार
पंच गव्य: गाय का घी, दूध, दही, गो मूत्र, गोबर
पंच तत्त्व: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश
छह दर्शन: वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, पूर्व मिसांसा, दक्षिण मिसांसा
सप्त ऋषि: विश्वामित्र, जमदाग्नि, भरद्वाज, गौतम, अत्री, वशिष्ठ और कश्यप
सप्त पुरी : अयोध्या पुरी, मथुरा पुरी, माया पुरी ( हरिद्वार ), काशी, कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ), अवंतिका और द्वारिकापुरी
आठ योग: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि
10 दिशाएं: पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, अग्नि, आकाश एवं पाताल
12 मास: चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन
15 तिथियां: प्रतिपदा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावास्या
समृतियां: मनु, विष्णु, अत्री, हारीत, याज्ञवल्क्य, उशना, अंगीरा, यम, आपस्तम्ब, सर्वत, कात्यायन, ब्रहस्पति, पराशर, व्यास, शांख्य, लिखित, दक्ष, शातातप, वशिष्ठ।
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
Comments