क्या हम पवित्र नदियों में स्नान कर पवित्र और स्वच्छ हो जाते है? पवित्रता और स्वछता से हमारा अभिप्राय क्या रहता है, यह आपने सोचा है कभी,
हर कुम्भ में ,हर हरिद्वार में, हर गंगा में और हर प्रयाग में हम हर बार स्नान करते है, क्यों , और क्या हम स्नान करके वास्तव में पवित्र हो जाते है,
मनुष्य की पवित्रता उसके विचारों से आती है नाकि उसके शरीर से, पवित्र नदिया शरीर स्वच्छ करती है नाकि हमारे विचार और आचार, आप जीवन भर स्नान करे पवित्र नदियों में और बहार आकर तथागत वैसे ही हो जिस रूप में स्नान करने गए थे,
शास्त्र कहते है के पवित्र नदियों में स्नान से समस्त पाप से मुक्ति मिलती है, मुक्ति कहा से मिलेगी जब हम स्नान के बाद भी वही कर्म कर रहे है, शास्त्रों में तो बहुत कुछ सुन्दर और ज्ञान लिखा है, क्या हम उसे भी मानते है,
अगर आप वास्तव में पवित्र होना चाहते है तो हर स्नान में बुराई छोड़िये तब आप पवित्र होंगे,
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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