top of page
Writer's picturehindu sanskar

मृत्यु जीवन का ध्रुव सत्य है-इसे समझे

मृत्यु जीवन का ध्रुव सत्य है। असम्भव शब्द के अस्तित्व को नकारने वाले नैपोलियन की मृत्यु एक नन्हे से समुद्री टापू की जैल में हुई।मुसोलिनी का प्राणान्त भी फांसी के तख्ते पर हुआ और जर्मनी को खंडहर करने वाला हिटलर इस तरह मरा कि उसके शव का पता भी नहीं चल सका।


यह बात अवश्य ध्यान में रखे कि धन,जन,ऐश्वर्य का गर्व शीघ्र मिटनेवाला है,क्योंकि यहाँ सर्प को नेवले ने पकड़ रखा है, सर्प ने मेंढक को और मेंढक मक्खियों के शिकार हेतु जीभ लपलपाता हुआ मस्त है, बस निगलनेभर की देर है।

सभी जानतें है और अच्छी तरह से जानतें है कि मौत आयेगी जरूरआयेगी,परवाहरे निश्चिंतता, मन कभी अपने मरने की बात सोचता ही नहीं है।


महाभारत में एक कथा आती है, यक्ष रूपधारी धर्म ने युधिष्ठिर से पूछा सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? इस पर युधिष्ठिर ने कहा--संसार में रोज रोज प्राणी यमलोक में जा रहें है ,किन्तु जो बचे हुए है, वे सर्वदा जीते रहने की इच्छा करतें है, इससे बढ़ कर आश्चर्य क्या होगा?


और ये ही मनुष्य की सुंदरता है, ना हारने वाली सोच और सत्य को न ग्रहण करके आगे बढ़ाना और समझाना के सब कुछ नश्वर है। हमे इससे भागना या डरना नहीं चाहिए बस समझना चाहिए के सब कुछ छड़भंगुर है और हमेशा स्थाई नहीं रहेगा, फिर अपने एकत्रित भौतिक वस्तुओं से लगाव कैसा,

श्री कृष्णा ने गीता में लिखा है " तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया।

इसलिए सहज रहे, हमेशा सत्कर्म करे और कोशिश करे की आपके द्वारा किसी का अनहित ना हो, क्योंकि सबको वही उसके घर जाना है लेखा जोखा लेकर।


अवश्य सुने एक अलौकिक वर्णन महामृत्युंजय मंत्र का,


जो आपको आतंरिक शांति और जीवन में एक समन्वय देगा




संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद् 

Comentários


bottom of page