पूजा के अंत में ज़रूर करे यह मंत्र , क्षमा मंत्र आपकी पूजा को पूर्ण करता है और आशीर्वाद मिलता है भगवन का
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
अर्थात भगवान मैं आपको बुलाना भी नही जानता और विदा करना भी नही। मुझे पूजा-पाठ करना भी नही आता है। मुझसे जो भी गलतियां हुई हैं उनके लिए मुझे क्षमा करें। मुझे न पूजा करने की प्रक्रिया पता है और न ही मुझे मंत्र याद हैं। मेरी पूजा स्वीकार करें।
अगर आप मंत्र जाप नही कर सकते हैं तो आप बिना मंत्र जाप के भी क्षमा याचना कर सकते हैं।
क्षमा मांगने से हमारे अंदर अंहकार की भावना नही आती है।
भगवान को ऐसा कहा जाता है कि जरूरी नहीं कि पूजा पूरी तरह से शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार हो, मंत्र और क्रिया दोनों में चूक हो सकती है। इसके बावजूद चूंकि मैं भक्त हूं और पूजा करना चाहता हूं और अगर मुझसे चूक हुई है, तो आप मुझे क्षमा करें। मेरा अहंकार दूर करके, मुझे अपनी शरण में लीजिए।
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद्
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