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भाव,प्रभाव और अभाव जीवन उद्देश्य में

Writer's picture: hindu sanskarhindu sanskar

यह तीन शब्द सुनने में तो एक लगते है परन्तु इनका भावार्थ बहुत अलग है और हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखते है,

  • भाव अर्थात किसी भी कार्य को करने के पीछे उद्देश्य या हमारी सोच क्या है

  • प्रभाव अर्थात उस भाव के कारण आप अपने कर्मो से क्या प्रयत्न करते है अपने जीवन में

  • अभाव अर्थात अमुक भाव को लेकर क्या प्रभाव से अभाव हुआ या प्राप्ति या संतुष्टि हुई

पूरा जीवन भाव, अभाव और प्रभाव का खेल है, अगर आप का किसी भी कार्य को करने के लिए भाव सुन्दर होगा तो उसका प्रभाव भी सुन्दर होगा और कभी भी जीवन में अभाव नहीं रहेगा अर्थात कमी नहीं रहेगी एक अटूट शांति की, ख़ुशी की और समन्वय की,

बहुत बार ऐसा होता है की हम कहते है में इतनी पूजा करता हूँ पर फल नहीं मिलता मेरे को, उत्तर सीधा है, आप भावहीन भक्ति करते है, आप भगवन से लैन-दैन करते है और भक्ति में भाव यह रहता है के भगवन मेरा यह कार्य हो जायेगा तो में आपके लिए यह करूंगा या वह करूंगा,


भक्ति अर्थात कर्म, कोई भी कर्म आप शुद्ध भाव से करेंगे तो उसका प्रभाव आप पर और आप के जीवन के आस-पास बहुत सुन्दर होगा, जैसे एक बहती हुई नदी, जो बह भी रही है और साथ में प्रकृति को भी जल से संचित कर रही है,बस आवश्य्कता है भाव की,और उस भाव पर कर्म करने की,


सोचो, आप का क्या भाव है, प्रभाव है और अभाव है इस श्रष्टि में और श्रष्टि की रचना में

संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है, कृप्या अपने प्रश्न साझा करे, हम सदैव तत्पर रहते है आपके प्रश्नो के उत्तर देने के लिया, प्रश्न पूछने के लिया हमे ईमेल करे sanskar@hindusanskar.org संस्कार और आप, जीवन शैली है अच्छे समाज की, धन्यवाद् 

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