मलमास या अधिक मास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। यह तीन वर्ष में एक बार आता है। मलमास के पूज्य देव भगवान विष्णु हैं, इस वजह से इसे पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस बार मलमास का प्रारंभ 18 सितंबर 2020 से हो रहा है, जो 16 अक्टूबर 2020 तक चलेगा। उसके बाद 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होगा।
आखिर मलमास क्या है और यह हर तीन वर्ष पर क्यों आता है? मलमास में कौन से कार्यों को करने की मनाही होती है? आइए जाने हैं इसके बारे में।
मलमास क्या है?
हिन्दू कैलेंडर में 30 तिथियां होती हैं, जिसमें 15 दिनों का कृष्ण पक्ष और 15 दिनों का शुक्ल पक्ष होता है। कृष्ण पक्ष के 15वें दिन अमावस्या और शुक्ल पक्ष के 15वें दिन पूर्णिमा होती है। सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर हिन्दू कैलेंडर बनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर की तिथियां घटती बढ़ती रहती हैं, यह अंग्रेजी कैलेंडर के 24 घंटे के एक दिन जैसे निर्धारित नहीं होती हैं। तीन वर्ष तक जो तिथियां घटती और बढ़ती हैं, उनसे बचे समय से हर तीन वर्ष पर एक माह का निर्माण होता है, जो अधिक मास या मलमास कहलाता है।
मलमास में क्या करें
मलमास के समय में भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है क्योंकि श्रीहरि विष्णु ही इस मास के अधिपति देव हैं। मलमास को पूजा पाठ, स्नान, दान आदि के लिए उत्तम माना गया है। इसमें दान का पुण्य कई गुणा प्राप्त होता है।
मलमास में कौन से कार्य हैं वर्जित
मलमास के समय में मांगलिक कार्यों जैसे कि विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश आदि की मनाही होती है। शुभ कार्य मलमास के समय में वर्जित होते हैं। हालांकि खरीदारी आदि की मनाही नहीं होती है।
ऐसे पड़ा पुरुषोत्तम मास नाम
पौराणिक कथा के अनुसार, हर मास के लिए एक देवता निर्धारित हैं। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए मलमास प्रकट हुआ तो कोई भी देवता उसका अधिपति देव बनना स्वीकार नहीं किया। तब ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से निवेदन किया। उनके निवेदन पर भगवान विष्णु मलमास के अधिपति देव बनें। उनका एक नाम पुरुषोत्तम है, उस आधार पर ही मलमास का नाम पुरुषोत्तम मास पड़ा।
संस्कार क्रिया से शरीर, मन और आत्मा मे समन्वय और चेतना होती है
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